Wednesday 20 December 2023

बैठे -बैठे सोच रहे हैं क्या -क्या कुछ- New

 


बैठे -बैठे   सोच रहे   हैं  क्या -क्या कुछ

दुनिया में हम देख चुके हैं  क्या -क्या कुछ 


प्यार, मोहब्बत ,रिश्ते -नाते और वफ़ा 

सच ,खुद्दारी , नेकी , 

हम जैसों को  रोग  लगे हैं क्या क्या  कुछ 


बचपन  ,यौवन  , पीरी ,  मरघट 

हैरत से हम देख रहे हैं क्या -क्या कुछ 


बेटा , भाई , मालिक ,नौकर या शौहर 

नाटक में हम रोज़  बने  हैं क्या -क्या कुछ


जिस्म ,ईमान की इस मंडी में सब कुछ है 

देखो तो सब बेच रहे हैं क्या क्या कुछ 


करते हैं अब कूच सराये- फ़ानी से 

इन  आंखों से  देख चले हैं क्या -क्या कुछ 


रेत ,समुन्द्र ,फूल ,बगीचे ,दफ़तर ,घर

गजलों में  अहसास  बने हैं क्या -क्या कुछ 


कल  कुछ  अच्छा होने की  उम्मीद "ख़याल"

इस  उम्मीद से ख़्वाब सजे हैं क्या क्या  कुछ 

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