Saturday 30 September 2023

राहों में फूल बिछा देंगे , हम दिल क़ालीन बना देंगे-92-उड़ान*

 



राहों में फूल बिछा देंगे , हम दिल क़ालीन बना देंगे
हम राह खड़े तुम आओ तो, हम सारा शह्र सजा देंगे
 
तुम अहद-ए-मोहब्बत  से  पहले , दिल को अपने राज़ी कर लो
दुनिया की फ़िक्र न करना तुम,  हम दुनिया को समझा देंगे
 
बन-ठन कर निकले हैं हम भी,  कपड़ो में इत्र लगाया है
मिल जाए कहीं तनहा वो अगर , हम दिल की बात बता देंगे
 
दुनियादारी  से अच्छी है , कुछ रौनक़  इस मैख़ाने   की
दुनिया ने जो भी दर्द दिए ,  सब सागर में दफ़ना देंगे

 मुस्का कर उसने देख लिया, फिर हंस कर हमसे बात भी की 
ये लोग बड़े ही शातिर हैं ,  अब तिल का ताड़ बना देंगे

Tuesday 12 September 2023

ग़ज़ल-91-चल मन तू वीरानी लेकर अब जलते श्मशानों में-उड़ान *

 
 ग़ज़ल –
 
चल मन तू वीरानी लेकर  अब जलते शमशानों में
क्या रक्खा है मुर्दा बस्ती  के मुर्दा  इंसानों में
 
सारी दुनिया को  अपना  परिवार  बताने  वालों ने 
अपना ही घर बाँट दिया है  देखो  कितने ख़ानों में 
 
 रोज़ी रोटी की चिंता में  डूब रहे पढ़ कर बच्चे
 ना उम्मीदी बैठ गई है  कैसे नन्हीं जानों में 
 
घन्टों गप-छप चलती थी , घर-घर में रौनक होती थी
चुप सी छाई रहती है अब , घर , आंगन , दालानों में
 
उम्मीदों से  भर देती है , तेरे  आने  की ख़बरें
दस्तक  देने लग जाती है , धूप  इन रौशन- दानों में
 
सुख तो घर की चाय की  इक  प्याली में  मिल सकता है
लेकिन  उसको  ढूँढ रहे हम  बाज़ारों , दूकानों में
 
ज्यूँ की त्युं रहती  है  हालत , तंगी  में  जीते  हैं लोग
दिन अच्छे  लगते  हैं केवल  सरकारी एलानों  में
 
घर में  सबका अपना कमरा, लेकिन  आँगन ख़ाली है
दीवारों ने बाँट दिया घर देखो  कितने  ख़ानों में
 
ख़ुशबू  के  मरने का ज़िम्मा  मेरे सर  आता है ख़याल
मैंने  नकली  फूल  सजाये  थे घर  के  गुल-दानों में
  

उधर तुम हो , ख़ुशी है

  उधर तुम हो , ख़ुशी है इधर बस बेबसी है   ये कैसी रौशनी है अँधेरा ढो रही है   नहीं इक पल सुकूं का ये कोई ज़िंदगी है   मुसीबत है , बुला ले ये ...