Wednesday 20 December 2023
Punjabi Ghazal- ਨਹਿਰ ਦੇ ਕੰਢੇ ਕਿੱਕਰ ਥੱਲੇ ਬੈਠ ਗਏ
बैठे -बैठे सोच रहे हैं क्या -क्या कुछ- New
बैठे -बैठे सोच रहे हैं क्या -क्या कुछ
दुनिया में हम देख चुके हैं क्या -क्या कुछ
प्यार, मोहब्बत ,रिश्ते -नाते और वफ़ा
सच ,खुद्दारी , नेकी ,
हम जैसों को रोग लगे हैं क्या क्या कुछ
बचपन ,यौवन , पीरी , मरघट
हैरत से हम देख रहे हैं क्या -क्या कुछ
बेटा , भाई , मालिक ,नौकर या शौहर
नाटक में हम रोज़ बने हैं क्या -क्या कुछ
जिस्म ,ईमान की इस मंडी में सब कुछ है
देखो तो सब बेच रहे हैं क्या क्या कुछ
करते हैं अब कूच सराये- फ़ानी से
इन आंखों से देख चले हैं क्या -क्या कुछ
रेत ,समुन्द्र ,फूल ,बगीचे ,दफ़तर ,घर
गजलों में अहसास बने हैं क्या -क्या कुछ
कल कुछ अच्छा होने की उम्मीद "ख़याल"
इस उम्मीद से ख़्वाब सजे हैं क्या क्या कुछ
Monday 18 December 2023
मैं आँखें देख कर हर शख़्स को पहचान सकता हूँ- उड़ान
मैं आँखें देख कर हर शख़्स को पहचान लेता हूँ
बिना जाने ही अकसर मैं बहुत कुछ जान लेता हूँ
वो कुछ उतरा हुआ चहरा, वो कुछ सहमी हुई आँखें
मुहब्बत करने वालों को तो मैं पहचान लेता हूँ
तजुर्बों ने सिखाई है मुझे तरकीब कि मैं अब
मुसीबत सर उठाये तो मैं सीना तान लेता हूँ
Friday 15 December 2023
आसमानों से उतारी धूप को- उड़ान *
आसमानों से उतारी धूप को
ले गये साए हमारी धूप को
बुझ
गया दिन शाम की इक फूँक से
पी गयी कालिख़ बेचारी धूप को
मौसमों ने की सियासत देखिए
खा गया कोहरा हमारी धूप को
छीन कर सूरज गरीबों से जनाब
कर दिया किश्तों में जारी धूप को
हर
सुबह सूरज उठाकर चल पड़े
पीठ
पर लादा है भारी धूप को
अपने
हिस्से का उजाला बेच कर
हमने
लौटाया उधारी धूप को
अपने
सूरज खूंटियों पर टांग दो
पहनो
मग़रिब की उतारी धूप को
बर्फ़
जब जमने लगी अहसास की
फिर
बनाया हमनें आरी धूप को
उधर तुम हो , ख़ुशी है
उधर तुम हो , ख़ुशी है इधर बस बेबसी है ये कैसी रौशनी है अँधेरा ढो रही है नहीं इक पल सुकूं का ये कोई ज़िंदगी है मुसीबत है , बुला ले ये ...
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ज़िंदगी इम्तिहान है प्यारे रोज़ मुश्किल में जान है प्यारे ये तसव्वुर के आसमानों पर शाइरी की उड़ान है प्यारे देख पत्ते तो झड़ गए कब के...
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यूं नहीं कि सर पे कोई छत नहीं या घर नहीं हाँ मगर माँ -बाप का साया अभी सर पर नहीं टूटने की हद से आगे खींचती है ज़िंदगी मैं भी हैरां हूं म...
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बस इतना सा तो है किस्सा तुम्हारा किसी ने जी लिया सोचा तुम्हारा मोहब्बत का भरम कायम है अब तक कभी परखा नहीं रिश्ता तुम्हारा तुम्हें ...