Tuesday 14 February 2023

ग़ज़ल -56- ज़िंदगी इम्तहान है प्यारे-उड़ान *

 
ज़िंदगी इम्तिहान  है प्यारे
  रोज़ मुश्किल में जान है प्यारे
 
ये तसव्वुर के आसमानों पर
शाइरी की उड़ान है प्यारे
 
देख  पत्ते तो झड़  गए कब के
शाख़ पर बस निशान है प्यारे
 
बात फूलों के तीर सी छूटी
                           ये तेरे लब  कमान है प्यारे                             
 
 दिल की वीरानियों पे क्या रोना
अब ये ख़ाली  मकान है प्यारे
 
   सच के सौदे तो मुफ़्त बटते हैं    
झूठ की ही दुकान है प्यारे
 
वर्ना तो राख़ मरघटों की है
जान है तो जहान है प्यारे
 
काट देती  है कलेजा पल में
तेग़ जैसी ज़बान है प्यारे
 
 बच के निकलो "ख़याल" तो मानें 
अब शिकंजे में जान है प्यारे
 
 
x
x

No comments:

Post a Comment

उधर तुम हो , ख़ुशी है

  उधर तुम हो , ख़ुशी है इधर बस बेबसी है   ये कैसी रौशनी है अँधेरा ढो रही है   नहीं इक पल सुकूं का ये कोई ज़िंदगी है   मुसीबत है , बुला ले ये ...