खुदा को आपने देखा नहीं हैं
मगर वो है नहीं , ऐसा नहीं हैं
सताया है सभी को ज़िंदगी ने
हमारा आपका क़िस्सा नहीं है
शराफत का मुखौटा है , उतारो
ये चेहरा आपका चहरा नहीं है
हमेशा जीत जाता है यहाँ सच
सुना तो है मगर देखा नहीं है
कहा तो जा चुका है सब का सब ,अब
कुछ ऐसा भी है जो सोचा नहीं है
कहानी मौत के आगे भी है कुछ
ये पन्ना आखरी पन्ना नहीं है
पता तो सबको है सच क्या है लेकिन
अलग है बात कि चर्चा नहीं है
"ख़याल" इस अब्र के टुकड़े से पूछो
मेरे आँगन में क्यों बरसा नहीं है
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