Saturday 27 January 2024

जब उजाला हुआ तो दम तोड़ा *

एक ताज़ा ग़ज़ल 

क्या सितमगर थे, क्या सितम तोड़ा 
दैर तोड़ा , कभी  हरम तोड़ा 

फ़र्ज़ पूरा किया चराग़ों ने 
जब उजाला हुआ तो दम तोड़ा 

आखरी सांस को औज़ार किया 
यूं  तिल्सिम -ए - ग़म-ओ -अलम तोड़ा 

आज फिर मय-कदे में बैठे हो 
किस  तमन्ना ने आज दम तोड़ा ?

हमको तोड़ा है बेबसी ने बहुत 
हमको हालात ने तो  कम तोड़ा 

पास रहते हो , साथ भी हो तुम 
वक़्त-ए- मुश्किल ने  ये भरम तोड़ा 


 
 





 


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