एक ताज़ा ग़ज़ल
दैर तोड़ा , कभी हरम तोड़ा
फ़र्ज़ पूरा किया चराग़ों ने
जब उजाला हुआ तो दम तोड़ा
आज फिर मय-कदे में बैठे हो
जब उजाला हुआ तो दम तोड़ा
आखरी सांस को औज़ार किया
यूं तिल्सिम -ए - ग़म-ओ -अलम तोड़ा
यूं तिल्सिम -ए - ग़म-ओ -अलम तोड़ा
आज फिर मय-कदे में बैठे हो
किस तमन्ना ने आज दम तोड़ा ?
हमको तोड़ा है बेबसी ने बहुत
हमको हालात ने तो कम तोड़ा
हमको तोड़ा है बेबसी ने बहुत
हमको हालात ने तो कम तोड़ा
पास रहते हो , साथ भी हो तुम
वक़्त-ए- मुश्किल ने ये भरम तोड़ा
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