उधर तुम हो , ख़ुशी है
इधर बस बेबसी है
ये कैसी रौशनी है
अँधेरा ढो रही है
नहीं इक पल सुकूं का
ये कोई ज़िंदगी है
मुसीबत है , बुला ले
ये बाहर क्यों खड़ी है?
किनारे पर है कश्ती
किनारा ढूंढ़ती है
Saturday 20 April 2024
उधर तुम हो , ख़ुशी है
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उधर तुम हो , ख़ुशी है
उधर तुम हो , ख़ुशी है इधर बस बेबसी है ये कैसी रौशनी है अँधेरा ढो रही है नहीं इक पल सुकूं का ये कोई ज़िंदगी है मुसीबत है , बुला ले ये ...
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ज़िंदगी इम्तिहान है प्यारे रोज़ मुश्किल में जान है प्यारे ये तसव्वुर के आसमानों पर शाइरी की उड़ान है प्यारे देख पत्ते तो झड़ गए कब के...
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