मैं अपनी ही बनायी क़ैद में था
मैं अपनी सोच की ही क़ैद में था
अंधेरों ने कभी घेरा है मुझको
कभी मैं रौशनी की क़ैद में था
डरा पल तौलते ही वो अचानक
कभी मैं रौशनी की क़ैद में था
डरा पल तौलते ही वो अचानक
मेरे जैसा था वो भी क़ैद में था
रिहाई हो रही थी तब मैं समझा
रिहाई हो रही थी तब मैं समझा
मैं अपने जिस्म की ही क़ैद में था
"ख़याल" उड़ जाने की चाहत बहुत थी
मगर पन्छी किसी की क़ैद में था
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