इस जमीं में है , आसमान में हैं
गर ख़ुदा है तो किस जहान में है
मुश्किलों में है तेरे बंदे, ख़ुदा
उनकी मुश्किल तुम्हारे ध्यान में है ?
बड़बड़ाता है मुझ में रह-रह कर
क्या कोई और इस मकान में है
क्यों सितारों की आंखें नम -नम हैं
चाँद तो अब भी आसमान में है
ईंट गारे की फ़िक्र क्या करना
घर तो आख़िर तेरा मसान में है
देख बिखरा है घर सम्भाल इसे
तुमको रहना इसी मकान में है
उनकी मुश्किल तुम्हारे ध्यान में है ?
बड़बड़ाता है मुझ में रह-रह कर
क्या कोई और इस मकान में है
क्यों सितारों की आंखें नम -नम हैं
चाँद तो अब भी आसमान में है
ईंट गारे की फ़िक्र क्या करना
घर तो आख़िर तेरा मसान में है
देख बिखरा है घर सम्भाल इसे
तुमको रहना इसी मकान में है
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