Friday 8 March 2024

तेरे बीमार रहने से ही ये बाज़ार चलता है*

तेरे बीमार रहने से ही ये बाज़ार चलता है
दवाऐं बेचने वालों का कारोबार चलता है

रखा जाता है हमको  भूख बीमारी के साए में 
कुछ ऐसे तौर से इस  देश में व्यापार चलता है


वही लिक्खा है अख़बारों  ने जो सरकार ने चाहा 
सियासत के इशारों पर ही तो  अख़बार  चलता है


सजाएं भी आवार्डों की तरह मरने पे मिलती हैं 
कुछ ऐसी चाल से इन्साफ का दरबार चलता है 


सियासत काठ की हांडी  जो बारंबार चढ़ जाए 
ये वो सिक्का है , जो खोटा है , जो हर-बार चलता है 


कमाता है कोई इतना के पड़पोते भी पल जाएं 
कमाते हैं कई ता-उम्र बस घर -बार चलता है 


लोग आते हैं , तडपते हैं ,चले जाते हैं फिर इक दिन 
न जाने किसके कहने पर तेरा संसार चलता है 


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