चढ़ते-चढ़ते उतर गया पानी
बनके आंसू बिखर गया पानी
पानियों को भी काट दे ये कटार
इस सियासत से डर गया पानी
एक सहमी हुई सी मछली है
कैसे पांनी से डर गया पानी
जल रहे घर की बात आई तो
फिर मदद से मुकर गया पानी
दूब की नोक पे हो शबनम ज्यूं
त्यूँ पलक पे ठहर गया पानी
आंख तेरी ज़रा सी नम जो हुई
मेरी आँखों में भर गया पानी
जब से बिछड़ा "ख़याल" सागर से
देख फिर दर -ब -दर गया पानी
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