Thursday 4 January 2024

दवा आई नई बाज़ार में क्या -New Ghazal*

ग़ज़ल – सतपाल ख़याल
 
ग़रीबों की  गिरी दस्तार में क्या 
कभी चर्चा हुआ सरकार  में क्या 

बहुत ख़बरें हैं बीमारी की फिर से 
दवा आई नई बाज़ार में क्या 

सियासत की सियाही थी  क़लम  में 
हुआ था क्या , छपा  अख़बार  में क्या 
 
रुकी है जांच ,  सब आरोप  ख़ारिज
वो शामिल हो गए सरकार में क्या 

कहानी लिखने वाले में है सब कुछ 
बुरा -अच्छा किसी किरदार में क्या  
 
जो ताक़त है क़लम  की धार में वो
किसी भाले में या तलवार में क्या
 
जहां देखो , जिसे देखो , दुखी है
सुखी भी है कोई  संसार में क्या ?
 
"ख़याल" अब रेस में शामिल नहीं हम
इस अंधी दौड़ में , रफ़्तार में क्या  





 
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