Thursday 4 January 2024

साज़िशें हैं आदमी के मन से खेला जाएगा -New ghazal*

 साज़िशें हैं आदमी के मन से खेला जाएगा 
आपने क्या सोचना है ,ये भी सोचा जाएगा 

आज  जो मुट्ठी में है बालू उसे कस के पकड़ 
कल जो होगा ,कल वो होगा ,कल वो देखा जाएगा 

आज़माना छोड़ रिश्ते को बचाना है अगर 
टूट जायेगा ये  रिश्ता जब भी  परखा जाएगा 

कोंपलें उम्मीद की फूटेंगी इसके बाद , पर 
पहले इस टहनी से  हर पत्ते को  नोचा जायेगा 

आदमी को  आदमी से जिसने रक्खा जोड़कर 
अब मोहब्बत का वो जर्जर पुल भी  तोड़ा जाएगा 

देखते हैं टूटती है सांस  कैसे  , कब , कहां 
पेड़    से  कब   आख़िरी पत्ते को  तोड़ा  जाएगा 

तय तो है  मेरी  सज़ा पहले से तेरी बज़्म में 
अब बताने को  कोई इलज़ाम खोजा जाएगा

दाँव पर ईमान  भी  मैंने  लगा डाला "ख़याल"
खेल में  अब  आख़िरी  यक्का भी  फेंका  जाएगा 


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