फिर मैं तेरे ख़्वाब सजा कर देखूंगा
गाँव , गली ,खिड़की से पूछूंगा जाकर
मैं तुम को आवाज़ लगा कर देखूंगा
आंखों के पानी से लिखूंगा गजलें
मैं पानी से दीप जला कर देखूंगा
लोग सलीब उठा कर कैसे चलते हैं
मैं इक शख्स का बोझ उठा कर देखूंगा
कोई एक सुबह तो अच्छी आएगी
मैं इक आस की जोत जला कर देखूंगा
हो सकता है कोई किनारा मिल जाए
दूर क्षितज के पार मैं जा कर देखूंगा
सूना कर देखूंगा
जुटा कर देखूंगा
कमा कर देखूंगा
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