दुख की गठरी धोते रहना उफ़ नही कहना है
जब तक सांस चलेगी तब तक ज़िंदा रहना है
दुख रोटी है ,दुख चूल्हा है ,दुख ही पेट की भूख
दुःख ओढ़ा है , दुख ही बिछाया , दुख ही पहना है
चिंता साथ हुई है पैदा ,साथ ही जायेगी
विरहन का सिंगार है चिंता ,
चिंता बिंदिया , चिंता काजल चिंता गहना है
पहना है
इस तिनके को इस दरिया के साथ ही बहना है
अंतिम रेखा दूर बहुत है , चलते रहना है
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